साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक हैं- मिश्रा
कलमकार मंच की तीन किताबों का विमोचन...
जयपुर। कलमकार मंच और पिंकसिटी प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चन्द्र छाबड़ा, वरिष्ठ साहित्यकार फारुक आफरीदी, आलोचक राजाराम भादू, शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल, पत्रकार एवं साहित्यकार त्रिभुवन, पत्रकार विनोद भारद्वाज और कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार राजेश शर्मा की किताब मंथरा, अनिल सक्सेना ‘ललकार’ की किताब राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन और कवि सुन्दर बेवफ़ा की किताब एहसास का वरिष्ठ पत्रकारों व साहित्यकारों की मौजूदगी में विमोचन किया गया।
संस्था के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने मीडिया सेंटर, में आयोजित इस समारोह में कहा कि साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक हैं, लेकिन वर्तमान में युवा पत्रकारों का साहित्य के प्रति रूझान कम देखने को मिलता है। मिश्रा और प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राधारमण शर्मा ने क्लब महासचिव योगेन्द्र शर्मा पंचौली को क्लब लाईब्रेरी के लिए मंच की ओर से प्रकाशित किताबें भेंट की।
अपनी किताब मंथरा के लोकार्पण पर राजेश शर्मा ने कहा कि अयोध्या में एक चाय की थड़ी पर मंथरा जैसे उपेक्षित किरदार के बारे में चर्चा हुई और मन बना कि रामायण के इस किरदार को फिर से समझना है। किताब राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन के लेखक अनिल सक्सेना ‘ललकार’ ने कहा कि शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों, साहित्यकारों और कलाकारों के साथ मिले अनुभव को इस किताब के जरिए साझा किया है।
आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार त्रिभुवन ने मंथरा किताब पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि लेखक ने कैकेयी और मंथरा को लेकर एक नई दृष्टि देने की कोशिश की है। वरिष्ठ साहित्यकार फारुक आफरीदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि अनिल सक्सेना ने अपनी किताब में अपनी साहित्यिक यात्राओं को समेटने की कोशिश की है।
वरिष्ठ आलोचक राजाराम भादू ने कहा कि कवि सुन्दर बेवफ़ा ने साहित्यिक आयोजनों में अपनी निरन्तर साझेदारी निभाते हुए खुद को लेखक के रूप में स्थापित किया है।
प्रसिद्ध शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल ने कहा कि कलमकार मंच स्थापित लेखकों के साथ नवोदित रचनाकारों को भी समान अवसर प्रदान कर रहा है। इन किताबों पर चर्चा का आयोजन भी होना चाहिए।
इस अवसर पर प्रभात गोस्वामी, सिद्धार्थ भट्ट, हरीश पाराशर, उमा, तसनीम खान, महेश कुमार, प्रेमलता, जैस्मीन यादव, पूनम भाटिया, सरिता अरोड़ा, कैलाश भारद्वाज सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार और साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
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