ट्रांसजेंडर मुद्दों को लेकर एक-दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

आगाज केसरी

जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडर मुद्दों को लेकर एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें नामी ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट पुष्पा माई ने लैंगिक समावेशिता के विषय पर चर्चा की। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्विद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने की जिन्होंने ट्रान्सजेंडर विद्यार्थियों के लिए विश्विद्यालय में किए गए नीतिगत बदलावों के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि हाल ही में दो ट्रांसमैन छात्रों द्वारा अपने अकादमिक दस्तावेजों में नाम परिवर्तन की अर्ज़ी पर संज्ञान लेते हुए विश्विद्यालय ने अपनी policies में बदलाव किए हैं जिससे आगे भी इस संदर्भ में समस्याओं का निराकरण त्वरित प्रभाव से हो सके। प्रो. कटेजा ने आयोजकों प्रो. नूपुर माथुर एवं डॉ. प्रीति चौधरी को इस कार्यशाला के सफल संयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन विश्विद्यालय में एक समावेशी समाज की नींव रखते हैं और उन्हें उम्मीद है कि विश्विद्यालय इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखेगा।

मुख्य वक्ता एवं नई भोर संस्था की निदेशक पुष्पा माई ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रो. कटेजा एवं आयोजकों को धन्यवाद दिया कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर विश्विद्यालय का मंच देना अपने आप में लैंगिक समावेशिता की धारणा को दर्शाता है। माई ने बताया कि सदियों तक उनका समाज हाशिये पर रहा है और अब जाकर इस समुदाय को अपने अधिकार मिलने शुरू हुए हैं परंतु जागरूकता के अभाव में अक्सर अब भी कई बार तृतीय जेंडर को सामाजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ता है और ऐसे कार्यक्रम इन संकीर्णताओं से समाज को बाहर ला सकती हैं।उन्होंने ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के दस्तावेज़ परिवर्तन संबंधी नीतिगत बदलाव के लिए भी प्रो. अल्पना कटेजा का धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर एसे जागरूक प्रशासक हों तो किसी विश्विद्यालय में ट्रांसजेंडर विद्यार्थी शिक्षा के लिए वंचित नहीं  रहेंगे। 

कार्यक्रम सेंटर फॉर विमन स्टडीज़ के तत्वावधान में आयोजित हुआ, सेंटर की निदेशक प्रो. नूपुर माथुर ने हर्ष जताते हुए बताया कि सेंटर लैंगिक समावेशिता के लिये काम करता है पर यह पहली बार है कि उन्होंने ट्रान्सजेंडर विषय पर इस कार्यशाला का आयोजन किया है। उन्हें ख़ुशी है कि यह कार्यशाला समाज में इस विषय से जुड़ी भ्रांतियों से पर्दा हटाएगी। 

कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. प्रीति चौधरी जो की वर्षों से अपने शोध द्वारा ट्रांसजेंडर समाज कल्याण की दिशा में कार्य कर रहीं है, उन्होंने बताया कि वैधानिक तौर से समानता मिलने के बावजूद भी सामाजिक तौर से अब भी समुदाय को समवेशिता के पटल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि समाज की समावेशी सोच ट्रान्सजेंडर समुदाय को एक सशक्त दर्जा दिलाने में सहयोग करेगी जिससे पढ़ लिख कर समुदाय टोली-बधाई से परे अपने लिए रोज़गार के साधन जुटा पाएगा। उन्होंने अपने धन्यवाद उद्बोधन में प्रो. अल्पना कटेजा को विश्विद्यालय स्तर किए गए नीतिगत बदलावों के लिये समाज की ओर से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह पहल ना सिर्फ़ राज्य वरन् राष्ट्रीय स्तर पर एक समावेशी शिक्षण का उदाहरण पेश करेगी। 

कार्यक्रम में विश्विद्यालय की ट्रांसजेंडर श्रेणी में प्रवेश लेने वाली प्रथम छात्रा नूर भी उपस्थित थी जिन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। अंत में समन्वयक डॉ. चौधरी ने सभी प्रतिभागियों और अंग्रेज़ी विभाग के वॉलंटियर्स को भी धन्यवाद ज्ञापित किया।

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