वेतन विसंगतियों की मांग को लेकर राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी

 

जयपुर। राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारियों के 64 दिन के आंदोलन के बाद सरकार के बार-बार आश्वासनों से तंग आकर कर्मचारियों में व्यापक आक्रोश है। 

इस संबंध में शुक्रवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ ने प्रेस कांफ्रेंस में कर्मचारियों की मांगे पूरी करने पर आंदोलन की चेतावनी दी। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी और प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र दाधीच ने बताया कि सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की महत्वपूर्ण मांगों पर छलावा कर रही है। राज्य सरकार द्वारा मंत्रालयिक कर्मचारियों की ग्रेड पे के मामले में केवल संस्थापन अधिकारी की ग्रेड पे बदला जा रहा है, जिसका मंत्रालयिक कर्मचारी विरोध करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सतवीर सिंह राजावत, विजय सिंह राजावत, जितेन्द्र सिंह, यतेन्द्र सिंह,विवेक सैकड़l एवं मुकेश मुदगल भी उपस्थिति रहे। इन सभी ने एक स्वर में कहा कि स्वयं को संवेदनशील मानने वाली सरकार की मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रति बेरूखी के कारण सभी ने सरकार का विरोध करने का संकल्प लिया है। 

गौरतलब है कि महासंघ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों से अवगत भी कराया था। मंत्रालयिक कर्मचारियों की वित्तीय मांग पर केवल संस्थापक अधिकारी की ग्रेड पे 6000 के स्थान पर 6600 की जा रही है। कनिष्ठ सहायक के पद की योग्यता भी स्नातक नहीं की जा रही है। जबकि कर्मचारियों की मांग मंत्रालयिक कर्मचारी संपर्क के प्रथम पदोन्नति पद की ग्रेड पे 2800 के स्थान पर 3600 करने अथवा द्वितीय पदोन्नति की ग्रेड पे 3600 के स्थान पर 4200 करने की मांग है। इस मांग पर कमेटी की सकारात्मक रिपोर्ट के आश्वासन के कारण अधीनस्थ विभाग एवं पंचायती राज संस्थानों में पदोन्नति पदों की आशा अनुरूप संख्या में कम स्वीकृत करने पर भी महासंघ द्वारा सरकार का स्वागत किया है।महासंघ के ट्रिब्यूनल चेयरमेन कमलेश शर्मा ने बताया कि सरकारों ने समकक्ष सभी कैडरस को एन्ट्री स्केल के पश्चात पदोन्नति वेतनमानों एवं पदोन्नति अवसरों में समय समय पर वृद्धि की है। एन्ट्री स्कूल में भी कुछ संवर्गों को हार्ड ड्यूटी अथवा अन्य भत्तों के नाम से वेतन उन्नयन किया हुआ है। एन्ट्री स्केल पर तो केन्द्र के समान वेतनमान की बात कहकर सरकार पल्ला झाल लेती है परन्तु पदोन्नति वेतनमान एवं पदोन्नति के अवसर की बात आते ही मौन धारण कर लेती 64 दिन के आंदोलन में कर्मचारियों ने आँधी तुफान, अतिवृष्टि का सामना किया। दिन-रात महापड़ाव मे इसी आशा के साथ जमे रहे कि सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की पीड़ा को समझेगी। मंत्री डॉ० महेश जोशी आदोलन स्थल पर रक्तदान शिविर एवं एक अन्य दिन आकर आश्वासन देकर गये थे। तत्पश्चात आर०टी०डी०सी अध्यक्ष धमेन्द्र सिंह राठौड ने सरकार से समझौता कराया और तब से लेकर लगातार यह आश्वासन देकर गये कि आपको किसी भी हाल में सचिवालय पैटर्न दिलवायेंगे। स्वयं माननीय मुख्यमंत्री ने हमे ठोस आश्वासन दिया था कि वेतन विसंगति दूर की जायेगी। इसके बाद भी यह स्थिति अच्छी नहीं है।

प्रदेशाध्यक्ष राजसिंह चौधरी ने बताया कि पुरानी पेंशन के नाम पर सरकार यह जताना चाह रही है कि हमने कर्मचारियों को काफी कुछ दिया है. जबकि पुरानी पेंशन किसी एक भी व्यक्ति की स्वीकृत हुई हो तो सरकार बताये। यह आकडी का माया जाल है सरकार यह जानती है कि पुरानी पेंशन कभी कर्मचारियों को मिलेगी ही नहीं। सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों से समझौते करके मुकरी है। जिसका खामियाजा मंत्रालयिक कर्मचारियों एवं उनके परिवारों के विरोध के कारण सरकार को भुगतना होगा। यह निश्चित है कि सरकार को मंत्रालयिक कर्मचारियों की हाय लगेगी ।

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