राज्य सरकार को चाहिए कि डॉक्टर्स से वार्ता कर रास्ता निकाले - यादव

आम आदमी पार्टी की स्वास्थ्य योजनाओं की नकल से राइट टू हेल्थ नहीं दिया जा सकता - आप 


जयपुर। आम आदमी पार्टी ने गहलोत सरकार को चेतावनी दी है वो वोटों के खतिर आम आदमी पार्टी की फ्री हेल्थ योजनाओं की तर्ज पर नकली RTH  लाकर जनता की सेहत के साथ मजाक नहीं करे। पिछले बढ़ दिन से प्रदेश की स्वास्थ्य सीयँ ठप पड़ी हैं। मरीज अस्पतालों में इलाज के अभाव में परेशान है और लाखों की संख्या में डॉक्टर्स सड़क पर हैं।

आप नेता देवेंद्र यादव 'देव' और संयुक्त सचिव रमेश विश्नोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि राजस्थान की जनता को स्वास्थ्य का अधिकार देने की प्राथमिक जिम्मेदारी गहलोत और कांग्रेस सरकार की है। पर यह अधिकार कागजों में नहीं, अपने अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, ऑपरेशन थियेटरों, स्वास्थ्य केंद्रों, जनता क्लीनिक के नेटवर्क को बडा कर और अत्यधुनिक कर के दे। कमी पड़ जाए तो निजी क्षेत्र पर बोझ डालें।

देव ने कहा कि राजस्थान का RTH बिल बिना तैयारी के 2023 के चुनावों के मद्दे नजर जल्दबाजी में लाया गया है। मुख्यमंत्रीजी ने विज्ञापन दे कर कहा है कि बिल पर डॉक्टर्स के साथ चर्चा हुई है। हमने डॉक्टर्स की संस्थाओं से बात की तो पता चला कि प्रवर समिति के बुलावे पर निजी अस्पतालों की तीन संसताओं के प्रतिनिधि गए थे लेकिन किसी भी संगठन ने विधान सभा में पारित बिल पर सहमति नहीं दी। फिर भी इस RTH को पारित कर लागू कर दिया गया।

आम आदमी मांग करती है कि राज्य सरकार मौजूदा RTH कानों को रेड करे और व्यवहारिक RTH बिल लेकर आये। अगर इसमें आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार से कोई मदद चाहिए तो पार्टी उसके लिए तैयार है।

आम आदमी पार्टी निजी क्षेत्र के आंदोलन रात डॉक्टर्स से आग्रह करती है कि वो किसी भी राजनीति दल के चक्कर में नहीं पड़े। आपके ऊपर कोई कानून थोपा नहीं जा सकता लेकिन सोशियल रिस्पॉसिबिलिटी के तहत आपको भी जनता के स्वस्थ्य का अधिकार दिलाने में सहयोग करना चाहिए। मरीजों का उपचार रोक कर सड़क पर उतरना आम जनता के हित में नहीं है।

आम आदमी पार्टी का मानना है कि अगर सरकार निजी क्षेत्र के अस्पतालों और डॉक्टर्स उनकी लागत का भुगतान कर के RTH योजनाओं में शामिल करेगी तो समस्या का समाधान निकल जायेगा। साथ ही इमरजेंसी जैसी सर्विसेज की स्पष्टता के साथ RTH बिल में शामिल करें।

देवेंद्र यादव देव ने आरोप लगाया कि RTH चुनावी पैंतरा है जो जल्दबाजी में विधानसभा से पारित कराया गया। जिस तरह नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों से चर्चा के बिना ही तीन कृषि कानून फर्जीवाड़ा कर के संसद में पारित कर लिए थे। कुछ कुछ वासी ही मोड्स ऑपरेंडी राजस्थान के RTH बिल में गहलोत सरकार ने अपनाई है। मोदीजी अपने  कॉरपोरेट मित्रों को खुश करने के लिए कृषि कानून लाये थे। गहलोतजी 2023 के चुनावों में वोट हासिल करने लिए RTH बिल लेकर आये हैं।

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