जगतपुरा स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर में नित्यानंद त्रयोदशी महोत्सव मनाया गया

जयपुर। श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर, जगतपुरा जयपुर में 3 फरवरी, शुक्रवार को श्री नित्यानंद त्रयोदशी मनाई गई। श्री नित्यानंद त्रयोदशी श्री नित्यानंद प्रभु का प्राकट्य दिवस है। मंदिर में भगवान को 108 भोग अर्पित किये गये एवं वैदिक मंत्रों के साथ के श्री श्री निताई गौरांग का महाभिषेक किया गया। भक्तों ने दोपहर तक उपवास रखते  हुए हरे कृष्ण महामंत्र का जप किया एवं श्री नित्यानंद प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त किया।

भगवान श्री कृष्ण नवदीप (पश्चिम बंगाल) में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में संकीर्तन आंदोलन (भगवान के पवित्र नाम का सामूहिक जप, इस युग के लिए युग-धर्म) की स्थापना के लिए प्रकट हुए। भगवान को उनके उद्देश्य में मदद करने के लिए भगवान बलराम नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने पूरे बंगाल में भगवान के पवित्र नाम का प्रचार-प्रसार करके श्री चैतन्य महाप्रभु की सहायता की।

समारोह का शुभारम्भ शाम 6:00 बजे  संकीर्तन के साथ शुरू हुआ, श्री गौर निताई के उत्सव विग्रह को पालकी से मंदिर के सुधर्मा हॉल लाया गया जहाँ भगवान का भव्य अभिषेक किया गया, उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मीठा पानी), पंचगव्य, विभिन्न प्रकार के फलों के रस, औषधियों (जड़ी-बूटियों) के साथ मिश्रित जल और नारियल पानी से अभिषेक कराया गया तत्पश्चात भव्य महाआरती की गई, दूर दूर से आये सभी भक्त हरे कृष्ण संकीर्तन एवं नृत्य में भाग ले कर आनन्दित हो रहे थे । ब्रह्म संहिता की प्रार्थना के साथ श्री गौर निताई को 108 कलशों के पवित्र जल से अभिषेक कराया गया। अभिषेक समारोह के समापन पर भगवान पर तरह-तरह के फूलों की वर्षा की गई । मंदिर में ठाकुर जी  को विशेष प्रकार के 108 भोग अर्पित किये गये।

मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि श्री नित्यानंद प्रभु बीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिले के एकचक्र गांव में प्रकट हुए। उनका जन्म 1474 ईस्वी में माघ (माघ शुक्ल त्रयोदशी) के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन पद्मावती और हढाई पंडित के पुत्र के रूप में हुआ था। 

उन्होंने आगे बताया कि 'नित्यानंद' का अर्थ है चिरस्थायी आनंद। हम किसी भी तरह से आवश्यक रूप से भौतिक जगत में सुख खोजने का प्रयास करते हैं, लेकिन ये सुख क्षणभंगुर हैं। जबकि परमानन्द की हमारी खोज बनी रहती है, हम श्री नित्यानंद प्रभु की शरण ले सकते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान से प्रबुद्ध हो सकते हैं जो हमें सच्ची खुशी और सभी चिंताओं से मुक्ति प्रदान करता है।

समारोह के अंत में मंदिर में भगवान का हरीनाम संकीर्तन के साथ भव्य पालकी निकाली गयी साथ ही महाआरती एवं महा संकीर्तन का आयोजन भी किया गया। इस पूरे कार्यक्रम को मंदिर के युटुब चैनल हरे कृष्ण जयपुर पर लाइव के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया। अंत में मंदिर में आये सभी भक्तो के लिए प्रसादी वितरण किया गया।


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