इन्फ्रा प्रोजेक्टों में स्ट्रक्चरल डिजाइन की अहम भूमिका - आवासन आयुक्त

एमएनआइटी में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग पर 12वीं अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस...

जयपुर। आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने कहा कि इन्फ्रा प्रोजेक्टों में स्ट्रक्चरल डिजाइन की अपनी अलग अहमियत है। ये प्रोजेक्ट गुणवत्ता, सुरक्षा तथा समय के सभी मापदंडों पर खरा उतरें, इसके लिए जरूरी है कि इन पर काम करने वाले पैरा इंजीनियरिंग स्टाफ को स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग तथा आर्किटेक्चर का समुचित प्रशिक्षण मिले।

आवासन आयुक्त गुरूवार को मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग पर 12वीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट (एनसीडीएमएम) तथा एमएनआईटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कांफ्रेंस देश-विदेश के विशेषज्ञों, देश की विभिन्न आईआईटी तथा एनआईटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अकादमिक सदस्यों एवं विद्यार्थियों ने स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान, प्रयोगों तथा बदलावों पर गहन चर्चा की।

पैरा इंजीनियरिंग स्टाफ की हो उचित ट्रेनिंग


आवासन आयुक्त ने कहा कि राजस्थान आवासन मंडल इस दिशा में पहल करते हुए अपने प्रोजेक्टों पर काम कर रहे पैरा इंजीनियरिंग स्टाफ (मजदूर, बेलदार एवं मेट सहित अन्य कंस्ट्रक्शन वर्कर) की एमएनआईटी या किसी अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान के विशेषज्ञों से ट्रेनिंग कराने पर विचार कर रहा है।

सफल सिविल इंजीनियर वही जो सोचे लीक से हटकर

आवासन आयुक्त ने कहा कि एक सफल सिविल इंजीनियर के लिए जरूरी है कि वह लीक से हटकर सोचे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को अपने अध्ययनकाल में फील्ड एक्सपोजर का अवसर नहीं मिल पाता है। वे क्लासरूम स्टडी तक सीमित रहते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान आवासन मंडल अपने प्रोजेक्टों में एमएनआईटी तथा इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को फील्ड एक्सपोजर का अवसर देने के लिए तैयार है। यह अनुभव उनके कॅरियर में महत्वपूर्ण साबित होगा।

अपनाना होगा फ्यूजन बिल्डिंग कंसेप्ट को

अरोड़ा ने कहा कि स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। मल्टीस्टोरी एवं हाईराइज के बाद अब जमाना स्काई स्क्रेपर्स बिल्डिंग्स की ओर जा रहा है। ऐसे में हमें वास्तु के क्षेत्र में पुरातन एवं आधुनिकता के संगम के रूप में फ्यूजन बिल्डिंग कंसेप्ट को अपनाना होगा। जिसमें पुरानी एवं आधुनिक शैली के साथ-साथ राजस्थानी, मुगल तथा अन्य प्रचलित वास्तु शैलियों का समावेष हो। आवासन आयुक्त ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के लिए नोलेज शेयरिंग का बेहतरीन मौका साबित होते हैं। विद्यार्थियों को इनका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर एमके श्रीमाली ने परिचय देते हुए बताया कि चार दिवसीय इस कांफ्रेंस में विषय से जुड़े 687 पेपर पढ़े गए तथा विषय विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियों के 300 से अधिक भाषण हुए। आयोजन समिति के सचिव तथा एनसीडीएमएम के हैड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. एसडी भारती ने आभार व्यक्त किया।



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