मखमली स्वरों से विजेंद्र ने किया राजेश्वरी का श्रृंगार
नेट थिएट पर शास्त्रीय कार्यक्रम राग प्रवाह... ज यपुर। शास्त्रीय संगीत के युवा गायक डॉक्टर विजेंद्र गौतम ने अपनी मखमली आवाज में जब रागेश्वरी के स्वर छेड़कर स्वरों के उतार-चढ़ाव से राग का श्रृंगार किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने एक ताल में द्रुत बंदिश राग संग रागिनी मिल मंगल गावे गाकर श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। नेट थिएट पर आज डॉ विजेंद्र ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कार्यक्रम की शुरुआत राग पूरिया धनश्री से की। उन्होंने विलंबित खयाल" 'ऐरी मांई कोयलिया बोले बिरहा की तान' जो की झुमरा ताल में निबद्ध थी, से की। इसके बाद मध्य लय में उन्होंने 'तुम मोरी राखो लाज हरि' गाया। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि विजेंद्र ने रागेश्वरी में प्रथम सुरसाधे और राग अभोगी मैं एक बंदिश प्रस्तुत की। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन राग किरवानी में प्रसिद्ध भजन 'हे गोविंद हे गोपाल' गाकर किया l डॉ विजेंद्र के साथ तबले पर सधी हुई संगत सुप्रसिद्ध तबला वादक दशरथ कुमार ने की तथा कीबोर्ड पर अर्जुन सैनी ने शानदार संगत कर कार्यक्रम को परवान चढ़ाया l कार्...