श्री श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन, भक्तों का लगा तांता
सवा लाख की पोशाक ठाकुर जी के लिए वृंदावन से...ठाकुर जी को 108 व्यंजनों का लगाया भोग...
जयपुर। जगतपुरा स्थित श्री श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में आध्यात्मिक उत्साह और वैदिक मंत्रों के साथ शुक्रवार की सुबह जगतपुरा के श्री श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभारम्भ हुआ। पुरे दिन मंदिर में हरिनाम संकीर्तन का विशेष आयोजन रहा , लगभग दो लाख भक्तों ने मंदिर में भगवन के दर्शन किये, मंदिर परिसर को विशेष रूप से कोलकाता, बेंगलुरु और देश के अन्य भागों से फूलो एवं भव्य डेकोरेशन लाइट सजाया गया। मंदिर में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी मोजूद थे, स्क्रीनिंग के लिए मेटल डिटेक्टर एवं सी सी टीवी कैमरा पुरे मंदिर परिसर में लगाये गए। मंदिर में आने वाले सभी भक्तो को नि:शुल्क प्रसाद में पंजीरी एवं फलों को वितरित किया गया।
श्री श्री कृष्णा बलराम मंदिर में भगवान को लिए फूल बंगला में सजाया गया, सवा लाख की पोशाक ठाकुर जी के लिए वृंदावन से बनवाई गई, एवं ठाकुर जी को 108 व्यंजनों का भोग लगाया गया एवं भगवान के अभिषेक के लिए कन्नौज से गुलाब जल और केवड़े का पानी मंगवाया गया, दिन में चार बार हुआ ठाकुर जी का महा अभिषेक किया गया, सर्वप्रथम अभिषेक से पहले भगवान को चंदन तेल से मालिश किया जाएगा, फिर पंचामृत एवं पंचगव्य एवं 21 प्रकार के फलों के रस से भगवान का अभिषेक किया गया एवं चरणामृत को भक्तो में बंटा गया। मन्दिर परिसर मे तीन जगह लड्डू गोपाल के झूलन लगाये गए, ताकि सभी भक्त भगवान का झूलन सेवा में भाग ले सके।
मंदिर अध्यक्ष श्री अमितासना दास जी ने बताया कि मंदिर में श्री कृष्ण बलराम की मनमोहक झांकी सजाई गयी, भगवान को 108 भोग अर्पित किये गये भगवान का महाअभिषेक किया गया तथा पुष्पवर्षा की गयी मध्यरात्रि 12 बजे भगवान की महाआरती की गयी। साथ ही बताया कि 20 अगस्त, 2022 नंदोत्सव जो कि जन्माष्टमी के दूसरे दिन मनाया जाता है यह एक महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन हरे कृष्ण आंदोलन (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य, कृष्ण कृपामूर्ति ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 126वीं जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर मंदिर में व्यास पूजा के अंतर्गत सायं 5 बजे से अभिषेकम एवं हरिनाम संकीर्तन का आयोजन होगा। हमारे सभी प्रयास मानवता के हित एवं उत्थान के लिए है, जो श्रील प्रभुपाद की आध्यात्मिक दृष्टि के अनुसरण में है।
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