छत्तीस का आंकड़ा व्यवस्था के विरोध का प्रतीक है - प्रेम जनमेजय
व्यंग्य संग्रह 36 का आंकड़ा का लोकार्पण... जयपुर। देश की अग्रणीय साहित्यिक संस्था कलमकार मंच की ओर से डॉ. राधाकृष्णन पुस्तकालय एवं आलोकपर्व प्रकाशन के सहयोग से आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लाईब्रेरी सभागार में आयोजित प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. लालित्य ललित द्वरा सम्पादित व्यंग्य संग्रह 36 का आंकड़ा के लोकार्पण समारोह में प्रतिष्ठित व्यंग्यकार एवं व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में जिस रूप में विसंगतियां बढ़ रही है उसमें आलोचक समाज की जरूरत है। व्यंग्यकार को एक चिन्तक होने के साथ आत्मविश्लेषक भी होना चाहिए। जो 63 का आंकड़ा रखेगा वह व्यंग्यकार नहीं हो सकता। छत्तीस का आंकड़ा व्यवस्था के विरोध का प्रतीक है । छत्तीस का आंकड़ा व्यंग्य की सही पहचान रखने वाले व्यंग्यकार के व्यक्तित्व को सामने लाता है। उन्होंने कहा कि व्यंग्य को साहित्य की विधा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए व्यंग्य यात्रा और देश भर में व्यंग्य शिविरों के आयोजन से नई जमीन तैयार हुई और नयी पीढ़ी सामने आई है। व्यंग्यकारों को अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगानी ...