महिला लेखन पुरस्कार उमा और समाज सेवा सम्मान वीरेन्द्र विद्रोही को

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने की पुरस्कार घोषणा। 14 सितम्बर को किया जाएगा समादृत...

जयपुर। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ द्वारा इस वर्ष शिवप्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार साहित्यकार उमा को भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनकी चर्चित औपन्यासिक कृति ‘जन्नत जाविदाँ’  के लिए व रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान प्रोमिनेंट एक्टीविस्ट डॉ. वीरेन्द्र विद्रोही को देने की घोषणा की गई है।

संस्थाध्यक्ष श्याम महर्षि ने बताया कि आधी दुनिया के रूप में ख्यात महिला वर्ग में साहित्य के प्रोत्साहन और गरीब, बेसहारा, जरूरतमंद तबके के कल्याण हेतु सामाजिक सरोंकारों को समर्पित व्यक्तित्व की समाज सेवा को मान देने के लिए संस्था के दिवंगत पदाधिकारियों की स्मृति में प्रारम्भ किए गये श्री शिवप्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार और श्री रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान 14 सितम्बर, 2021 को आयोज्य संस्था के वार्षिकोत्सव में अर्पित किए जायेंगे।

पुरस्कार निर्णय की जानकारी साझा करते हुए संस्था के मंत्री रवि पुरोहित ने बताया कि श्री शिवप्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार इस वर्ष जयपुर की साहित्यकार उमा को उनकी चर्चित औपन्यासिक कृति ‘जन्नत जाविदाँ’ के लिए अर्पित किया जाएगा। श्री रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान राजस्थान के प्रोमिनेंट एक्टीविस्ट डॉ. वीरेन्द्र विद्रोही, अलवर को उनके सामाजिक सरोकारों को समर्पित अवदान के लिए दिया जाएगा। दोनों विभूतियों को हिन्दी दिवस पर आयोज्य भव्य समारोह में समादृत किया जाएगा।
उपाध्यक्ष  बजरंग शर्मा एवं आयोजन समन्वयक महावीर माली ने बताया कि सम्मान-पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रूपये नगद राशि, सम्मान-पत्र, स्मृति-चिह्न, शॉल आदि भी यथा संस्था निर्णय अर्पित किए जायेंगे।

परिचय -
उमा - भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन प्रतियोगिता के तहत चयनित राजस्थान की प्रथम महिला रचनाकार। हर वह मुद्दा जिसका सम्बन्ध पाठक के आम जीवन से है, हर वह सरोकार जो मानवता से जुड़ता है, चाहे राजनीति हो या सिनेमा या समाज, कला-साहित्य, संगीत हो या फैशन या फिर ज्वलंत मुद्दे, उमा के पसंदीदा विषय रहे हैं। पुरस्कार हेतु चयनित यह उपन्यास जिंदगी के तनावों तथा दवाबों के साथ ही, जिन्दगी में निरन्तरता को रेखांकित करता है। बदलते वक्त में जिंदगी की बदलती जरूरतें और बदलती मान्यताओं का जीवतं दस्तावेज है यह कृति।

डॉ. वीरेन्द्र विद्रोही
रंगमंच से जुड़ाव रखने वाले और राजस्थान सरकार से सम्मानित विद्रोही मत्स्य मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान, अलवर में निरन्तर सेवाओं के साथ भारत ज्ञान-विज्ञान समिति, सम्पूर्ण साक्षरता, पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन, भू अधिकार, महिला उन्नयन, आनंददायी शिक्षण जैसे अनेक क्षेत्रों में ख्यात रहे हैं। डॉ. विद्रोही अनेक समाचार-पत्रों से भी जुड़े रहे हैं। एक्शन वातायन और अमनपथ बुलेटिन के मुख्य संपादक डॉ. विद्रोही समाज के समग्र सर्वागीण विकास के पक्षधर हैं।

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