महिला उत्पीड़न के मामलों को पुरजोर तरीके से उठाएं महिला पत्रकार - डॉ. शकुंतला सरूपरिया

जार उदयपुर की ओर से आयोजित महिला पत्रकार वेबिनार में बोलीं कलमकार 
महिला पत्रकार भी नहीं हैं सुरक्षित - एडवोकेट शशिबाला 


उदयपुर। पत्रकारिता के क्षेत्र में शुरू से ही महिला पत्रकार और पुरुष पत्रकार जैसी सीमा बना दी गई। हार्डकोर रिपोर्टिंग के लिए महिला से पहले पुरुष रिपोर्टर को प्राथमिकता दी जाती रही है। लेकिन, अब समय बदल रहा है। महिला पत्रकार भी हार्डकोर रिपोर्टिंग में झंडे गाड़ रही हैं। चाहे महानगर हों या ग्रामीण क्षेत्र में काम कर रहीं महिला पत्रकार, वे खुद को कभी कमतर न समझें। 

यह बात जयपुर की वरिष्ठ पत्रकार और राजस्थान पत्रिका जयपुर में डिप्टी न्यूज़ एडिटर रही श्रीमती मणिमाला शर्मा ने सोमवार को जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) की उदयपुर इकाई की मेजबानी में हुई महिला पत्रकारों की वेबिनार में कही। ‘मीडिया में महिला पत्रकारों का स्थान, चुनौतियां और नए अवसर’ विषय पर आयोजित इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में मणिमाला शर्मा ने कहा कि पत्रकारों को खबर को देखने और लिखने का नजरिया व अंदाज अलग हो सकता है, लेकिन पत्रकारिता में कोई पुरुष और महिला का भेद नहीं होता, पत्रकार सिर्फ पत्रकार होता है। पुरुष और महिला पत्रकार होने की वर्जनाओं को हमें तोड़ना होगा। 

वेबिनार की संयोजिका प्रिया दुबे ने बताया कि जार प्रदेशाध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव संजय सैनी के निर्देशन में हुई इस वेबिनार में विशिष्ट अतिथि उदयपुर की वरिष्ठ पत्रकार व कवयित्री डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने उनके पिता वरिष्ठ पत्रकार भंवर सुराणा को स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा यही कहा कि पत्रकार महिला या पुरुष आधारित नहीं होती, जब तक कलाकार, फनकार और कलमकार जिन्दा है, समाज नहीं डूब सकता। डॉ. सरूपरिया ने महिला उत्पीड़न के मामलों को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए महिला पत्रकारों से आह्वान किया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि हम महिला पत्रकार हैं तो ऐसे मामलों कितने मामलों को हमने पुरजोर तरीके से उठाया और न्याय तक पहुंचाया है। इस पर मनन करने और इस पर धरातल पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बेटियों को लेकर अपनी स्वरचित कविता भी सुनाई। 

मॉरिशस से जुड़ीं पत्रकार सविता तिवारी ने पत्रकारिता में महिलाओं के भविष्य पर कहा कि हर महिला को दोहरी जिम्मेदारी निभानी होती है। देखा जाए तो एक परिवार को संभालने का कार्य महिला से बेहतर पुरुष नहीं कर सकते, ऐसे में 24 ऑवर जैसी किसी भी ड्यूटी से हटकर अपने समय मुताबिक कार्य महिलाओं के लिए ज्यादा बेहतर होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए महिलाएं स्वतंत्र पत्रकारिता और स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र को चुनकर अपनी पहचान बना सकती हैं। एक समय था जब स्वतंत्र पत्रकारिता को निचले स्तर पर देखा जाता था, लेकिन आज स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता कर रहे कई चेहरे अपनी एक विशिष्ट पहचान बना रहे हैं। लेखन में रुचि रखने वाली गृहिणियां भी इस क्षेत्र में अपनी रुचि के अनुरूप विषय पर लेखन कर सकती हैं और परिवार को भी पूरा समय दे सकती हैं। 

जयपुर से ही शामिल वरिष्ठ पत्रकार और पावर एक्सप्रेस की एडिटर दीपशिखा शर्मा ने हर माह इस तरह की ऑनलाइन परिचर्चा व वेबिनार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे महिला पत्रकार आपस में एक-दूसरे से सीख भी सकेंगी और फील्ड में आने वाली कॉमन समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा कर सकेंगी। ब्यावर से जुड़ीं एंकर एडवोकेट शशिबाला सोलंकी ने महिला पत्रकारों की सुरक्षा को भी जरूरी बताते हुए सभी से एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया। 

वेबिनार में उदयपुर से जयश्री नागदा, शिल्पी सोनी, प्रेमलता लोहार, मारिया, जेनतुल फिरदौस, जयपुर से मंजू माहेश्वरी, प्रणिता भारद्वाज, राजसमंद से रंजिता शर्मा, दौसा से पूजा शर्मा, ब्यावर से दीक्षा आदि भी शामिल हुईं। 

उदयपुर जार जिलाध्यक्ष नानालाल आचार्य ने बताया कि इस वेबिनार से यह महसूस हुआ कि पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत महिला पत्रकार साथियों को भी सूचीबद्ध किया जाए ताकि नए आने वाली प्रतिभाओं का वरिष्ठों से परिचय हो सके और वे बेहिचक मार्गदर्शन ले सकें। उन्होंने राजस्थान में इस तरह की सूची बनाने के लिए से प्रदेश पदाधिकारियों से आग्रंह किया। वेबिनार में प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, प्रदेश सचिव कौशल मूंदड़ा, उदयपुर जिला महासचिव भरत मिश्रा, कोषाध्यक्ष गोपाल लोहार, सदस्य दिनेश हाड़ा, हरीश नवलखा, नरेन्द्र कहार, डॉ. भारत भूषण भी शामिल रहे।


मानसून सत्र में पेश किया जाए पत्रकार सुरक्षा कानून

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