धरी रह गई बस मालिक की चालाकी, उच्च न्यायालय का निर्णय बना सड़क सुरक्षा की नई '"नजीर"
ग्वालियर उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 53 के तहत किसी भी क्षेत्राधिकार में अपराध होने पर उस क्षेत्र का प्राधिकरण पंजीकरण निलंबित कर सकता है। अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) गोपाल सिंह एक्शन मोड़ में... आगाज केसरी जयपुर। जयपुर द्वितीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ने एक अवैध रूप से परिवर्तन के कारण मई 2024 को बस (UP 95 T 5127) का पंजीकरण निलंबित किया था। इस निलंबन को बस मालिक महेंद्र गुप्ता द्वारा ग्वालियर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि केवल वही प्राधिकरण जिसके तहत बस पंजीकृत है उसे पंजीकरण निलंबित करने का अधिकार है। ग्वालियर उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 53 के तहत किसी भी क्षेत्राधिकार में अपराध होने पर उस क्षेत्र का प्राधिकरण पंजीकरण निलंबित कर सकता है। यह निर्णय पंजीकरण निलंबन की अस्पष्टता को दूर करता है और सड़क सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश करता है। उल्लेखनीय है कि बस मालिक अपने वाहनों को अन्य राज्यों में पंजीकृत करवाकर उसमें ज़्यादा लाभ कमाने के लिए सीट, त...
Comments
Post a Comment