कोरोना संक्रमण को साहित्य सृजन से चुनौती - ऋतुराज

- कलमकार मंच द्वारा प्रकाशित 27 किताबों का विमोचन



जयपुर। देश की अग्रणी साहित्य संस्था कलमकार मंच की ओर से प्रकाशित देश के 27 लेखकों की किताबों के विमोचन समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार ऋतुराज ने अपने संबोधन में वैश्विक आपदा कोरोना का जिक्र करते हुए कहा कि देश इस समय भीषण संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, उसके समानान्तर साहित्यकार साहित्य सृजन के जरिये वैचारिक एवं साहित्यिक संक्रमण करके उसे चुनौती दे रहे हैं। एक साथ 27 साहित्यिक किताबों का प्रकाशन बहुत बड़ा संक्रमण है, ये साहित्यकारों के लिए कोरोना संक्रमण का वैक्सीन है। हम जिंदा रहना चाहते हैं, मनुष्य के रूप में जिंदा रहना चाहते हैं, मनुष्य होने के नाते वैचारिक, दार्शिनिक और भावनात्मक रूप से भी जिंदा रहना चाहते हैं। ये जद्दोजेहद एक बड़ी महामारी के विरूद्ध है। हालात बेकाबू हैं, लेकिन साहित्यकारों का काम है ऐसे समय विशेष में इतिहास लिखना, एक ऐसा दस्तावेज बनाना जो यह कहे कि मनुष्य कभी हारता नहीं।
यूथ हाॅस्टल में आयोजित इस समारोह में देश के अनेक ख्यात साहित्यकारों के साथ कुछ नव साहित्य सृजकों की 27 किताबों का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र भाटिया, ऋतुराज, ईशमधु तलवार, फिल्मकार गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, प्रसिद्ध समीक्षक एवं आलोचक राजाराम भादू और कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने सीमित संख्या में उपस्थित साहित्यकारों की मौजूदगी में किया। इस अवसर पर पूरे समारोह का सजीव प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से किया गया जिसे देश के हजारों साहित्यकारों ने देखा।
समारोह के प्रारंभ में कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण हम और हमारी किताबें घर में कैद हो गईं, लेकिन साहित्यकार और साहित्य अधिक समय तक बंदिशों में नहीं रह सकता। इसका साक्षात प्रमाण हैं 27 लेखकों की यह किताबें जिनका विमोचन हो रहा है। कोरोना ने बहुत दूरियां बना दी, लोगों के मन में आज भी डर है, लेकिन टीम कलमकार ने लाॅक डाउन के चार चरण में जरूरतमंद लोगों की मदद का मिशन चलाकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। उन्होंने कहा कि हमारा काम सिर्फ साहित्य रचना ही नहीं है, सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग रहना भी हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने अगली बार एक साथ सौ लेखकों की किताब प्रकाशित करने और उनके विमोचन के लिए जयपुर में चार दिन का साहित्यिक मेला आयोजित करने की घोषणा भी की।
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार ईशमधु तलवार ने संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि कलमकार मंच बहुत कम समय में जिन ऊँचाईयों तक पहुँचा है, वह इस बात को दर्शाता है कि उनका लक्ष्य हिंदी साहित्य और साहित्यकारों को व्यापक स्तर पर स्थापित करना है, इन प्रयासों के चलते कहा जा सकता है कि शब्दों की दुनिया ऐसे ही फलती फूलती रहेगी। वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र भाटिया, प्रेमचंद गांधी, फिल्मकार गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, समीक्षक एवं आलोचक राजाराम भादू ने भी इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों को संबोधित किया। मंच संचालन युवा साहित्यकार तसनीम खान और अनुराग सोनी ने किया। युवा साहित्यकार उमा ने आगुन्तकों का आभार व्यक्त किया।
समारोह में पूर्व न्यायाधीश शिव कुमार शर्मा का पहला उपन्यास ‘ लोकदेश की न्याय कथा’, प्रसिद्ध साहित्यकार हबीब कैफी का उपन्यास ‘आश्रम’, प्रलेस के प्रदेशाध्यक्ष ऋतुराज का कविता संग्रह ‘हम उत्तर मुक्तिबोध हैं’, चन्द्रभानु भारद्वाज का कविता संग्रह ‘तुम जैसे फूल हो कोई, रति सक्सेना का यात्रा वृतांत ‘सफर के पड़ाव’ महेश कटारे का कथा नाट्य ‘इंद्रधनुष’, जल संग्रहण के पारम्परिक प्रणाली को सहजने को लेकर मनीष वैद्य की किताब ‘जमा रसीदें’, आरपीएस सुनील शर्मा का िपहला उपन्यास ‘गुमसुम अल्लाह, चुपचुप राम’ और निशांत मिश्रा की लाॅक डाउन के दौरान हुए अनुभवों पर आधारित किताब ‘यहीं कहीं है रोशनी का गाँव’ सहित वरिष्ठ रचनाकार रियाज रहीम, प्रेमचंद गांधी, पंखुरी सिन्हा, सेवाराम त्रिपाठी, मुकेश पोपली, कुसुम आचार्य, डॉ. लोकेन्द्र सिंह कोट, दिवाकर राय, डॉ. क्षमा सिसोदिया, ज्ञानवती सक्सेना, ज्योति विश्वकर्मा, भरत मल्हौत्रा, डॉ. रविन्द्र कुमार यादव, सुनीता बिश्नोलिया, प्रकाश प्रियम, शफ्फाफ जयपुरी (अलख सहगल) एवं डॉ. सुनीता घोगरा की किताबों के साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘कलमकार’ का विमोचन किया गया।
कोरोना संक्रमण को लेकर जारी सरकारी दिशा निर्देशों की पालना करते हुए आयोजित इस समारोह में किताबों के लेखकों के साथ ही टीम कलमकार के भागचंद गुर्जर, महेश कुमार शर्मा, अवनींद्र मान, राहुल मीणा, सुंदर बेवफा, आयुषी, वीना चौहान, प्रेरक, शुभम, अदिति, अक्षत, वर्तिका सहित अन्य साहित्यप्रेमी मौजूद थे।



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