इंजीनियर की शह पर हो रही बिजली चोरी !
- मानसरोवर के गोविंद नगर में बंगलों-कोठियों में मुफ्त की बिजली से चल रही एसी और लाइट
हरीश गुप्ता
जयपुर। 'मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन' यह तो आपने खूब सुना है। वह अलग बात है कोरोना ने इन दिनों इस पर ब्रेक लगा दिया है। क्योंकि मंदिर और भगवान तालाबंदी की चपेट में हैं। मुफ्त की बिजली वह भी सीना चौड़ा करके यह नहीं सुना होगा। मानसरोवर के गोविंद नगर में ऐसा ही हो रहा है। यह खेल चल भी करीब 5 वर्षों से रहा है। अकेले इस कॉलोनी में अभी तक करोड़ों की बिजली चोरी हो चुकी, लेकिन जेवीवीएनएल को कोई परवाह ही नहीं है।
जानकारी के मुताबिक गोविंद नगर की बसावट 200 फीट और 90 फीट से लगते हुए हैं। यहां करीब 55 बंगलों या कोठियां बनी हुई है। जिस भू कारोबारी ने इसे बसाने की तैयारी कि उसका काश्तकार से लेनदेन को लेकर विवाद हो गया। विवाद शुरू होता उससे पहले बिजली विभाग ने सरकारी पोल गाड़ दिए। काश्तकार और भू-कारोबारी के बीच क्या विवाद यह तो वही जाने, लेकिन इस बीच जिसकी लाठी में दम था उसने बंगला ठोक दिया।
जानकारी के मुताबिक इस विवाद के बीच भू कारोबारी ने कुछ सस्ते में प्रभावशाली लोगों को प्लॉट बेच दिए। उसने शक्ल देख कर टीका किया, मतलब जितना प्रभावशाली, उतने कम दाम। जब मामला प्रभावशालियों का आया तो वहां पोल से बिजली भी घरों में पहुंच गई। क्योंकि विवाद जारी है ऐसे में नियमों से बिजली कनेक्शन नहीं मिल सकता था। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि विवाद समाप्त हो गया होता तो सभी बिजली का कनेक्शन ले लेते। अब कनेक्शन नहीं है तो बिल कैसे आए? वैसे भी किसी विद्वान ने कहा है कि मुफ्त की बिजली से एसी भी ज्यादा ठंडी हवा देता है तो बल्ब भी अधिक रोशनी देता है।
अब सवाल उठता है कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड क्या कर रहा है? इसका सूचना तंत्र पूरी तरह से फेल है? माना निचले स्तर पर गड़बड़ी हो सकती है, क्या पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है? जेवीवीएनएल की ओर से बिजली चोरी पकड़ने के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं कि ट्रांसफार्मर से ही चोरी का पता लग जाता है। ऐसे में इस नगर में बिजली सप्लाई करने वाला ट्रांसफार्मर 'गूंगा' क्यों हो गया?
अधिकारियों को बिजली चोरी नजर नहीं आ रही या उनकी शह पर ही सब खेल हो रहा है? सूत्रों की मानें तो कॉलोनी वाले हर महीने कलेक्शन कर रुपए देते हैं। तो आखिर रुपए जा कहां रहे हैं? कौन शख्स है जो समानांतर जेवीवीएनएल चला रहा है? इस संबंध में स्थानीय सहायक अभियंता से उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संबंध में जेवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक ए के गुप्ता का कहना है, 'ऐसा संभव नहीं है जो आप बता रहे हैं। ... हमारी विजिलेंस काफी सतर्क है, फिर भी मैं चेक करवा लेता हूं।'
Comments
Post a Comment