कोरोना के साथ ही मौसमी बीमारियों के प्रति भी रहें आमजन सतर्क - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने प्रदेशवासियों से कोरोना के साथ मौसमी बीमारियों के प्रति सतर्कता बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बारिश में मौसम में कई बीमारियां फैलने का अंदेशा रहता है ऐसे में सावधानी से ही बचाव किया जा सकता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि इस मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्वाइन फ्लू जैसी मच्छरजनित और स्क्रब टाइफस बीमारियां फैलने की आशंका रहती है। उन्होंने बीमारियों के नियंत्रित के लिए कन्ट्रोल रूम की स्थापना एवं रेपिड रेस्पोन्स टीम का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलों में 24 घंटे कन्ट्रोल रूम स्थापित किये गए है। उन्होंने जन सामान्य को कन्ट्रोल रूम के नम्बर उपलब्ध करवाने, जिला, खण्ड व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक रेपिड रेस्मोन्स टीम (आरआरटी टीम) का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि उच्च जोखिम वाले खंड व क्षेत्रों की पहचान करने, उच्च जोखिम वाले खंड व क्षेत्रों की पहचान करने के लिए, विगत तीन वर्षों के प्रभावित क्षेत्र, मौसमी बीमारी से मुत्यु वाले क्षेत्र व एंटोमोलोजिकल, सीरो सर्विलेंस के आधार पर जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर विशेष सतर्कता रखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने सभी चिकित्सा संस्थानों पर आवश्यक दवाइयां जैसे पैरासीटामोल, क्लोरोक्विन, एजिथ्रोमाइसिन, डोक्सीसाइक्लिन, एसीटी किट, टेमिफ्लू, क्लोरीन की गोलियां, ओआरएस आईवी फ्लूड व अन्य आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने बारिश के मौसम में घर-घर सर्वे कार्य के लिए अभी से दल के सदस्यों को चिन्हित करने यथा एएनएम, आशा, विद्यार्थियों व अन्य यथा महिला आरोग्य समिति एवं वोलंटियर्स आदि को सूचना एकत्रित करवाने व सर्वे कार्य के लिए प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि प्रत्येक चिकित्सा संस्थान व घर-घर सर्वे के दौरान एमसीएचएन डे पर व अन्य स्थानों पर लार्वा प्रदर्शन के माध्यम से नागरिकों को मौसमी बीमारियों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
इसी प्रकार जल जनित रोगों से बचाव के मद्देनजर पानी के नमूनों की जांच के लिए सभी चिकित्सा संस्थानों पर क्लोरोस्कोप की उपयोगिता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जिले में कार्यरत एंटोमोलाजिस्ट, वीबीडी कन्सलटेन्ट, एपीडेमियोलोजिस्ट व अन्य के द्वारा हाई रिस्क क्षेत्र में वैक्टर, एंटोमोलोजिकल, सीरो सर्विलेंस से प्राप्त सूचनाओं का विशलेषण करते हुए इसके अनुरूप गतिविधियां संपादित कराने के भी निर्देश दिए। उन्होंने नगर पालिका, नगर निगम पंचायत समिति, ग्राम पंचायत से समन्वय स्थापित करते हुए जोखिम वाले क्षेत्रों में फोगिंग कराना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
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