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सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती

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जयपुर। सनातन तोड़ना या बांटना नहीं सिखाता, सनातन जोड़ना सीखना है प्रेम सिखाता है, सनातन समस्या नहीं अपितु समस्याओं का समुचित समाधान है। नियमित ध्यान करना एवं नकारात्मक बातों पर रिएक्शन नहीं करना चाहिए। यह मार्गदर्शन अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल महापुरा में सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के शुभारंभ के तहत आयोजित सनातन जयघोष में प्रदान किया।  समारोह में सम्मिलित होने ऋषिकेश से जयपुर पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती का सार्वजनिक अभिनंदन जयश्री परिवार स्कूल के निदेशक आयुष परिवार द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर, आयोजन स्वागत समिति के अध्यक्ष गोकुल माहेश्वरी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष ने राधा कृष्ण भगवान की युगल छवि भेंट कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक बालमुकुंद आचार्य, ब्रह्माकुमारी बीके सुषमा, बीके चंद्रकला, योगाचार्य ढाका राम एवं समाजसेवी सुरेश मिश्रा आदि ने गौ पूजन, वृक्षारोपण भी किया। अतिथियों के आगमन पर सनातन जयघोष आयोजन समिति के आनंद कृष्ण कोठारी, राकेश गर्ग, मनीष मालू

ट्रांसपोर्टरों का टैक्स माफ, स्कूलों की फीस नहीं...?

> कोरोना काल में लोगों के पास नहीं है फीस के पैसे, जबकि रियायती दर पर दी गई है स्कूलों को जमीन...


हरीश गुप्ता
जयपुर। ट्रांसपोर्टरों की एक धमकी से ट्रांसपोर्ट विभाग हिल गया और 3 महीने के टैक्स माफी की घोषणा कर डाली। वह अलग बात है कि वे 6 माह का टैक्स माफ करने पर अड़े हुए हैं। उधर निजी स्कूल वाले एक भी महीने की फीस नहीं छोड़ रहे सरकार चुप क्यों है ?


लॉक डाउन के बाद सभी की आर्थिक हालत तंग हो गई। कईयों को नौकरी से हटा दिया गया। जिन के धंधे थे चौपट हो गए। भूख के मारे कई पलायन कर गए तो कई रास्ते में दम तोड़ गए। ऐसे में निजी स्कूल वालों ने फीस मांगना नहीं छोड़ा। कारण सरकार ने निजी स्कूलों पर फीस न मांगने की सख्ती नहीं की।


यह तो तब है, जबकि लगभग कई बड़े स्कूलों को सरकार ने रियायती दर पर जमीन दी हुई है। ऐसे में चाहे तो सरकार सख्ती कर सकती थी। उसका कारण तो समझ आ रहा है कि फीस माफी के लिए सरकार तक पैरवी करने के लिए कोई मजबूत पैरोकार खड़ा नहीं हुआ। 


सभी को पता है राजस्थान रोडवेज काफी घाटे में चल रही है। घाटे में चलने का कारण छीजत तो है ही, लेकिन सबसे बड़ा कारण प्राइवेट बसें हैं। लेकिन दुर्भाग्य है सरकार में बैठे लोग प्राइवेट बसों की पैरवी कर रहे हैं और रोडवेज की उपेक्षा। उसका कारण है पैरवी करने वालों के परिवार वालों और दोस्तों की बसें काफी ज्यादा है। यही कारण है ट्रांसपोर्टरों ने अप्रैल, मई और जून माह का टैक्स माफ करवा लिया। इतना करवाने के बाद भी इनके पेट का दर्द कम नहीं हुआ। अब वह 6 माह का माफ करने का दबाव बना रहे हैं।


लॉक डाउन में सड़क पर आए लोगों को सरकार से उम्मीद थी कि बिजली-पानी के बिल माफ होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ फिर उम्मीद थी कि निजी स्कूलों की फीस के मामले में सरकार कोई सख्ती करेगी, लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। सरकार के रवैए को देखते हुए निजी विद्यालयों ने कसर नहीं छोड़ी और मौके का फायदा उठाकर फीस और बढ़ा डाली।


ऐसे में जब स्कूलों की फीस माफ नहीं हो सकती तो ट्रांसपोर्टरों का टैक्स माफ करने की क्या जरूरत? टैक्स आएगा तो राज्य के खजाने में ही। कई लोगों से बात की तो सभी का कहना था कि इन लोगों का टैक्स माफ नहीं होना चाहिए। आखिर ट्रांसपोर्ट विभाग सरकार के खजाने का दुश्मन क्यों बना हुआ है?


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