सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय सेअब रियल स्टेट बिजनेस को मिलेगी राहत

जयपुर। वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रभाव से रियल स्टेट प्रोजेक्ट भी बन्द पड़े है। इस विषम उत्पन्न स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा रियल स्टेट बिजनेस में राहत पहुँचाने के लिये अति महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये है। इस संबंध में नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से रेरा के अध्यक्ष एन.सी. गोयल ने बुधवार को उनके निवास स्थान पर चर्चा की।


रेरा द्वारा जारी आदेशों में बताया गया है कि राज्य सरकार एवं राजस्थान रियल रेगुलेटरी ऑथरटी के स्तर पर रियल स्टेट बिजनेस से जुड़े क्रेडाई, टोडार, राहड़ा आदि के प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये प्रतिवेदनों पर सकारात्मक विचार कर रेरा एक्ट की धारा 6 व धारा 8 में दिये गये प्रावधानों के अनुसार ऐसे समस्त प्रोजेक्ट जो प्रदेश में लॉकडाउन शुरू होने की दिनांक 19 मार्च, 2020 तक पूर्ण नहीं हुए थे। उन सभी को प्रोजेक्ट पूर्ण करने की एक वर्ष की अवधि विस्तारित किये जाने का निर्णय लिया गया है साथ ही इस विस्तारित अवधि के लिये फीस भी माफ कर दी गयी है। परन्तु रेरा द्वारा 16 अगस्त, 2019 को जारी आदेश के क्रम में निर्धारित स्टेण्डर्ड फीस देय होगी। उन्हीं प्रोजेक्ट को अवधि विस्तार दिया जायेगा, जिनका रजिस्ट्रेशन 19 मार्च, 2020 को विधिवत मान्य था। विस्तारित अवधि के लिए निर्धारित फॉर्म-एफ में प्रमाण-पत्र रेरा द्वारा जारी किया जायेगा। जिसके लिए विकासकर्ता को ऑनलाईन आवेदन करना होगा। विस्तारित अवधि हेतु नियमानुसार आवश्यक प्रमाण-पत्र भी 30 जून, 2020 तक ऑनलाईन ही जारी कर वेबसाईट पर उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है।


संबंधित विकासकर्ता अपनी पूर्व में रजिस्टर्ड परियोजना हेतु रेरा की वेबसाईट के पोर्टल के माध्मय से ऑथरिटी को आवेदन पत्र में उपरोक्त प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु ऑनलाईन ही आवेदन कर सकेंगे, 30 जून, 2020 से पहले यह सुविधा प्रारम्भ कर दी जायेगी।
विकासकर्ता द्वारा अपने प्रोजेक्ट की त्रैमासिक रिपोर्ट वेबसाईट पर प्रदर्शित करनी होती है, जिसमें भी मार्च, 2021 तक छूट दी गई है। रिफंड के आदेशों की क्रियान्विति के लिए विकासकर्ता के विरूद्ध कठोर कार्यवाही 31 मार्च, 2021 तक नहीं की जायेगी।


विकासकर्ता अपने रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स को एक से अधिक चरणों में विभाजित कर सकेंगे, और बिल्डिंग प्लान में ऐसे संशोधन कर सकेंगें की आवंटियों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े। ऐसे सभी परिवर्तनों के लिए न्यूनतम दो तिहाई आवंटियों की सहमति भी आवश्यक होगी।


Comments

Popular posts from this blog

धरी रह गई बस मालिक की चालाकी, उच्च न्यायालय का निर्णय बना सड़क सुरक्षा की नई '"नजीर"

राष्ट्र के उत्थान में महिलाएं निभा रही है विशेष भूमिका - शर्मा

सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती