पंचायत स्तर तक पुख्ता हो क्वारेंटाइन व्यवस्था - मुख्यमंत्री
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में जो कामयाबी हमें अभी तक मिली है उसे बरकरार रखने के लिए क्वारंटाइन व्यवस्था पर विषेष ध्यान देना होगा। अभी तक शहरों में कोरोना के मामले सामने आ रहे थे, लेकिन अब यह संक्रमण गांवों में नहीं फैले, इसके लिए क्वारंटाइन व्यवस्था का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि बाहर से आने वाले प्रवासियों को किसी तरह की असुविधा नहीं हो और साथ ही क्वारंटाइन में रखे गये लोगों की मॉनिटरिंग के पुख्ता इंतजाम हों।
गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जिला कलक्टर, जिला एवं उपखंड स्तरीय अधिकारियों से क्वारंटाइन व्यवस्थाओं पर चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिले से लेकर पंचायत स्तर तक मौजूद सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को मिलकर क्वारंटाइन व्यवस्था को ग्राम स्तर तक सुचारू बनाना होगा। इस काम में सांसदों, विधायकों के साथ-साथ सभी शहरी एवं पंचायत जनप्रतिनिधियों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि ट्रेन से आने वाले लोगों की रेलवे स्टेशन पर ही स्क्रीनिंग करवाकर बसों से उन्हें गन्तव्य स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था करें। संभव हो तो रेलवे स्टेशन पर उन्हें चाय-नाश्ता उपलब्ध कराएं और बसों में खाने के पैकेट व पानी रखवाया जाए, ताकि उन्हें आगे के सफर मे आसानी हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि जालोर, सिरोही एवं पाली जैसे जिलों को क्वारंटाइन व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा। क्योंकि वहां बाहर से आने वाले प्रवासियों की संख्या हजारों में है। डूंगरपुर एवं भरतपुर जैसे सीमावर्ती जिलों को भी प्रवासियों के लिए समुचित इंतजाम रखने होंगे।
गहलोत ने निर्देश दिए कि टेस्टिंग की जरूरतों को देखते हुए जिला स्तर पर जांच सुविधाओं को और अधिक सुदृढ़ किया जाये। जालौर, पाली, सिरोही, बांसवाड़ा, बाड़मेर सहित वे सभी जिले जहां प्रवासी अधिक आ रहे हैं, जल्द से जल्द जांच सुविधाएं विकसित की जाएं। बाहर से आने वाले प्रवासियों के क्वारंटाइन के लिए स्थानीय विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों का सहयोग लंे, उनसे संपर्क स्थापित करें ताकि बेहतर तालमेल के साथ ग्राम स्तर पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो सकें। क्वारंटाइन के लिए जगह चिन्हित करने और ग्राम स्तर पर बनाये गये संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर्स पर भोजन-पानी की व्यवस्था में भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाए। गांव वालों को भी विश्वास में लेकर होम क्वारंटाइन रखे गए एवं बाहर से आने वाले प्रवासियों की मॉनिटरिंग में उनका सहयोग लिया जाए। एनसीसी, एनएसएस, स्काउट और नेहरू युवा केन्द्र से जुड़े युवाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के समय जिस गंभीरता से काम किया जाता है वैसा हमारे प्रषासन एवं पुलिस के अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं भामाषाहों सभी ने मिलकर किया है। कोरोना का सामना करने में राजस्थान ने प्रो-एक्टिव होकर काम किया है। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए यहां अपनाये गये उपायों की देष-विदेष में जमकर प्रषंसा हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा मजबूत करते हुए हमें आगे भी इसी जज्बे के साथ लड़ाई जारी रखनी होगी। हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव हो बाहर से आने वालों को होम क्वारंटाइन रखा जाए, जरूरी हो तभी उन्हें संस्थागत क्वारंटाइन किया जाए। क्वारंटाइन में रखे गए लोगों में किसी तरह के लक्षण दिखाई दंे तो उनकी जांच कर उन्हें कोविड सेंटर में भेजा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी श्रमिक सड़क पर पैदल दिखाई दें तो उन्हें बसों के माध्यम से आगे भेजने की व्यवस्था की जाए अथवा उन्हें केंप में पहुंचाकर उनके लिए भोजन की व्यवस्था की जाए। राज्य सरकार ने उनके लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था की है।
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी संशोधित गाइडलाइन के तहत प्रदेश में कहीं भी आने-जाने के लिए पास की जरूरत नहीं है। सिर्फ कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में आना-जाना अनुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्तर्राज्यीय आवागमन आसान होने के बाद बाहर से आने वालों की संख्या काफी बढ गयी है। ऐसे में अधिकारी प्रवासियों के क्वारंटाइन की व्यवस्था पर फोकस करें। सीमावर्ती जिलों में आवश्यक रूप से प्रवासियों के पंजीकरण और स्क्रीनिंग के साथ उनके लिए बसों की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए। जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई दें उन्हें कोविड केयर सेंटर में भेजने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन किए गए लोगों के साथ अछूत की तरह व्यवहार न हो लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की जाए।
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