पाइप के 'घोल' में बड़ा झोल, प्रदूषण मंडल अनजान या जानबूझकर चुप
हरीश गुप्ता जयपुर। बोरिंग के काम आने वाले पाइपों ने खुद पोल्यूशन बोर्ड को चकरघिन्नी में डाल रखा है। किन घोलों से पाइप तैयार हो रहे हैं, प्रदूषण मंडल को पता है या जानबूझकर अनभिज्ञ बना हुआ है। इतना अवश्य है कि ऐसी फैक्ट्रियां जमकर प्रदूषण फैला रही हैं। जानकारी के मुताबिक अकेले राजस्थान के कई औद्योगिक क्षेत्रों जैसे सरना डूंगर, विश्वकर्मा, जोधपुर, गंगानगर, चूरू, निवाई, अलवर के अलावा हरियाणा व मध्य प्रदेश में ऐसे पाइप बनाने के कारखाने हैं जो बोरिंग में काम आते हैं। इन फैक्ट्री मालिकों ने पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से परमिशन भी ले रखी है, लेकिन यह कहकर कि वे सीमेंट-कांक्रीट के घोल से पाइप बनाएंगे। सूत्रों ने बताया कि उस परमिशन की आड़ में इन फैक्ट्रियों में बन तो पाइप ही रहे हैं, लेकिन उनमें सीमेंट के अलावा फाइबर और फ्लाईएस भी मिलाया जाता है। यह केमिकल रूस से इंपोर्ट होता है जो रेड कैटेगरी में आता है। सूत्रों ने बताया कि रेड केटेगरी में होने के कारण पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इसकी परमिशन देता नहीं है इसलिए कारखाना संचालकों ने फैक्ट्री चलाने के लिए यह गली निकाल रखी है। इस तरह की फैक्ट्रियां कई सालों ...